🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Bhala hua mori gagri footi kabeer
अब लफ्ज-ओ-बयां सब खत्म हुए,
अब लफ़्ज़-ओ-बयां का काम नहीं
अब इश्क खुद पैगाम है अपना
और इश्क़ का कोई पैगाम नहीं
एक शाहिद-ए-मानी-ओ-सूरत के मिलने की तमन्ना सबको है।
मैं उसके ना मिलने पर हूँ फिदा लेकिन ये मज़ाक-ए-आम नहीं
मौला मौला लाख पुकारे मौला हाथ न आए।
लफ़्ज़ों से हम खेल रहे हैं माना हाथ न आए॥
जो पानी के नाम को पानी जाने ये नादानी है।
पानी पानी रटते रटते प्यासा ही मर जाए॥
शोला शोला रटते रटते लब पर आँच न आए।
इक चिंगारी लब पर रख लो लब फ़ौरन जल जाए॥
इस्म पर काने होने वाला और मुसम्मा खोने वाला।
काम न करने वाला मूरख बस नाम से जी बहलाए॥
माला कहे काठ की तू का फेरत मोहे।
मन का मनका फेर दे तुरंत मिला दे
मस्जिद ढा दे मन्दिर ढा दे
ढा दे जो कुछ ढेंदा।
भला हुआ मोरी गगरी फूटी मैं पनिया भरन से छूटी।
मोरे सर से टली बला।
रंगी को नारंगी कहें सो जमे दूध को खोया।
चलती को गाड़ी कहें सो देख कबीरा रोया॥
चलती चाकी देखके, दिया कबीरा रोय।
दो पाटन के बीच में साबूत बचा न कोय॥
आधे भगत कबीर है पूरे भगत कमाल।
चाकी चाकी सब कहे कीली कहे न कोय।
जो कीली से लाग रहे वांको बाल न बीका होय॥
कीली से लागे रहे, नकटा बूचा होय
दाना सोही सराहिए, जो चट से बाहर हेय॥
हर मरे तो हम मरे, हमरी मरे बलाय।
साँचे गुरु का बालका मरे न मारा जाय॥
राम नाम की खूंटी गाड़ी सूरज ताना तनता।
चढ़ते उतरते दम की खबर ले, फिर नहीं आना बनता॥
कबीरा कुंआ एक है, पानी भरे अनेक।
भांडे का ही भेद है, पानी सबमें एक॥
अलीफ अल्लाह चंबे दी बूटी।
मेरे मुर्शिदा मन बीच लाई हू
नफी अस्बात दा पानी मिलेया
हर रगे हरजाई हू
अन्दर बूटी मुश्क मचाया,
ते जान फूलन ते आई हू
जीवे मुर्शिद-ए-कामिल बाहू
जे बूटी मन लाई हू
भला हुआ मोरी माला टूटी मैं राम भजन से छूटी।
करे हम किसकी पूजा मोरी माला टूटी
मोहे देओ बधाई बधाई मोरी माला टूटी
ना कछु देखा राम भजन में, ना कछु देखा पोथी में।
इल्म-ओ-बस करिए, इल्म ही सबसे बड़ा परदा हैं।
अगर कतरा न दरिया से जुदा होता तो क्या होता
वही होता है जो है इसके सिवा होता तो क्या होता
ना होने पर तो दुनिया की निगाहें खा गई धोखा
जो तेरे मां सिवा कोई खुदा होता तो क्या होता
जो यूं होता तो क्या होता जो यूं होता तो क्या होता
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रोंदत मोहि।
इक दिन ऐसा आएगा मैं रोंदूगी तोहि॥
माला जपूं न कर जपूं न मुख से कहूँ राम।
राम हमारा हमें जपे, हम पायो विश्राम॥
कहना था सो कह दिया अब कछु कहा न जाय।
एक गया सो जा रहा, दरिया लहर समाय॥
हँस हँस कन्त न पाइया, जिन पाया तिन रोय।
हाँसी खेलि पिया मिले तो कौन सुहागन होय॥