🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Bharm Me Bhool Raha Sansar Kabeer
भर्म में भूल रहा संसार॥
बीज वस्तु कैसे के पावै,
जाका सकल पसार।
कृत्रिम नाम जान बहु थापे,
करता रहा निहार॥
एक दृष्टि चितवत नहिं तन में,
को है सिरजनहार।
वेद पढ़े पै भेद न जानै,
कथनी कथै अपार॥
आप न बूझै जगत बुझावै,
सूझे वार न पार॥
कहैं कबीर वा घट परगट है,
जो कोइ बूझनहार॥