🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Bhajan Bin Nar Pashu Samaan
दास सतार Das Sataar Lyrics
भजन बिन! नर है पशु समान।
जैसे फिरत है ढोर हरायो,
खात फिरत है घास परायो,
अपने धनी को नाम लजायो,
मूरख मूढ़ मस्तान.................
कॉल वचन देकर बाहर आयो,
आकर लोभ में चित्त लगायो,
धिकधिक हरिको गुण नहि गायो,
दे बचनी नादान....................
अज्ञानी क्या फल को पावे,
तेरी मेरी में जन्म गुमावे।
हिरला हाथ फिर कहाँ से आवे,
निकल गयो जब प्राण.............
प्रेम से हर का जो गुण गावे,
ज्ञानी होकर ध्यान लगावे।
'दास सतार' वो ही फल पावे,
जो भजते भगवान...........….
🚩 जय श्री गुरु महाराज जी की 🙏🏻🥀
🎙️निरंजन पांड्या Niranjan Pandya