🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Bawre Te Gyan Bichaar na Paaya
Kabeer Bhajan कबीर भजन गुरबानी
बावरे ! ते (तू) ज्ञान बिचार न पाया॥
बिरथा जनम गंवाया॥
अरे पगले! तूने उस परम ज्ञान को प्राप्त नहीं किया तो यह जन्म निरर्थक हो जायेगा।
थाके नैन स्रवन सुन थाके
थाकी सुन्दर काया।
जरा हाँक दी सब मति थाकी
एक न थाकसि माया॥
मेरे आँखें, कान, सुंदर काया, इन्द्रियाँ, बुद्धि सब थक गयी अर्थात् काम करना छोड़ दिया परन्तु यह माया (ममता, तृष्णा) नहीं थकी माने सब अंग काम दे गये, परन्तु ममता तो दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। "ममता तू न गई मेरे मन ते"
तब लग प्रानी तिसै सरेवहुँ
जब लग घट में सांसा।
जे घट जाइ त भाव न जासी
हरि के चरण निवासा॥
हे प्राणी, जब तक शरीर में जीवन की साँस है, तब तक प्रभु की सेवा करो और जब तुम्हारा शरीर छूटेगा तब भी तुम्हारा भाव (प्रेम) नहीं मिटेगा, तुम प्रभु के चरणों में निवास करोगे।
जिस कोउ सबद बसावै अंतर
चूकै तिसहि पियासा।
हुकमै बूझै चौपड़ खेलै
मन जीति डाले पासा॥
जब कोई सद्गुरु के शब्द को भीतर बसाता है, अन्दर उतारता है तो उसकी इच्छाएंँ और प्यास बुझ जाती है। गुरु की आज्ञानुसार जो जीवन रूपी चौपड़ (शतरंज) को खेलता है; वह पासा फेंककर अपने ही मन को जीत लेता है।
जो जन जानि भजै अबिगत को
तिनका कछु न नासा।
कहे 'कबीर' ते जन कबहुँ न हारै
डालि जो जानै पासा॥
जो भक्त इस रहस्य को जानकर अविगत परमात्मा को भजते है, उनका कुछ नहीं बिगड़ सकता। कबीर कहते हैं, वे भक्त जीवन के खेल में कभी नहीं हारते, जो पासा को डालना जानते हैं माने गुरु ज्ञान रूपी पासा डालकर वह इस खेल को अनायास ही जीत लेता है।
🚩श्री निरंजनी अद्वैत आश्रम भाँवती🙏🏻
🎙️ हरजिंदर सिंह Harjinder Singh
🎙️ सतविंदर सिंह Satwinder Singh