🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Bando Raghupati Karunanidhaan
Tulsidas Bhajan Vinay Patrika
बन्दौ रघुपति करुना निधान|
जाते छूटे भव भेद ज्ञान ||
मैं करुणानिधान श्रीरघुनाथजी की वन्दना करता हूँ, जिससे मेरा सांसारिक भेद-ज्ञान छूट जाय!
रघुबंश-कुमुद सुखप्रद निसेस |
सेवत पद पंकज अज महेस ||
श्रीरामजी रघुवंशरूपी कुमुद को चन्द्रमा के समान प्रफुल्लित करनेवाले हैं। ब्रह्मा और शिव जिनके चरण-कमलों की सेवा किया करते हैं।
निज भक्त-ह्रदय-पाथोज-भृंग |
लावण्य बपुष अगणित अनंग ||
जो अपने भक्तों के हृदय-कमल में भ्रमर की भाँति निवास करते हैं। जिनके शरीर का लावण्य असंख्य कामदेवों के समान है।
अति प्रबल मोह-तम-मार्तण्ड |
अज्ञान गहन पावक प्रचण्ड ||
जो बड़े प्रबल मोहरूपी अन्धकार के नाश करने के लिये सूर्य और अज्ञानरूपी गहन वन के भस्म करने के लिये अग्निरूप हैं
अभिमान-सिंधु-कुंभज उदार |
सुररञ्जन, भञ्जन भूमिभार ||
जो अभिमानरूपी समुद्र के सोखने के लिये उदार अगस्त्य हैं और देवताओं को सुख देने वाले तथा (दैत्योंका दलनकर) पृथ्वी का भार उतारने वाले हैं।
रागादि सर्पगन पन्नगारि |
कन्दर्प नाग मृगपति, मुरारी ||
जो राग-द्वेषादि सर्पों के भक्षण करने के लिये गरुड़ और कामरूपी हाथी को मारने के लिये सिंह हैं तथा मुर नामक दैत्य को मारने वाले हैं।
भवजलधि-पोत चरनारबिंद |
जानकी-रवन आनन्द-कन्द ||
जिनके चरण-कमल संसार-सागर से पार उतारने के लिये जहाज हैं, ऐसे श्रीजानकीरमण रामजी आनन्द की वर्षा करने वाले हैं।
हनुमन्त प्रेम बापि मराल |
निष्काम कामधुक गो दयाल ||
जो हनुमानजी के प्रेमरूपी बावड़ी में हंस के समान सदा विहार करने वाले और निष्काम भक्तों के लिये कामधेनु के समान परम दयालु हैं।
त्रैलोक-तिलक गुनगहन राम ।
कह तुलसीदास बिश्रामधाम ||
तुलसीदास यही कहता है कि तीनों लोकों के शिरोमणि, गुणों के वन श्रीरामचन्द्रजी ही केवल शान्तिके स्थान हैं।
तुलसीदास भजन विनय पत्रिका लिरिक्स
🚩निरंजनी अद्वैत आश्रम भाँवती🙏🏻
🎙️पार्थिव हरियाणी Parthiv Hariyani