🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂 

Foohad Nari Ki Bat Kaha Shivram


फ़ूहड़ नारी  की  बात  कहाँ कहूँ,

बातन  से  दुःख   होत  सवायो।

पानी    मांगत    पत्थर   मारत, 

ईंटन  को   ढींग   रहत  पजायो॥

आधी  रात   पहर   को  तड़को, 

नर  ने  नारी  पर  हाथ  बढ़ायो।

एकदम  ऐसी  दौड़ी  लिहाडी से, 

सौड न होती तो फ़ाड़ री खायो॥


साग में लूण  न  दाल  में  हल्दी, 

लपटा को रांद धरे  नित  फीको।

वा पुआ पूड़ी  को  सेक न जाने, 

तेल  से  करे   बुरो  ये  घी  को।

झूठे   बर्तन    लिथड़े    फिथडे, 

केर  न  जानत   दूध  दही  को।

शिवराम कहे तासे राम बचावत,

ऐसी लुगाई से  रंडवो ही नीको॥


सोवे   सिंदौसी    उठे    अवेरी, 

पीसत  चून   दले   जैसे  दानो।

चंचल  चाल  गिराड़े  में  डोलत, 

कोळी  को  सो   पूरत   तानो। 

भोंडो  सो  मुंह  उचकनी  एड़ी, 

लम्बो   पेट    बड़ो   तहखानो।

शिवराम कहे तासे राम बचावत, 

नारी  नहीं  वाहीं  नाहर जानो॥