🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Dev Sansai Gaanth Na Chhoote
Ravidas Bhajan Gurbani
देव संसै गाँठ न छूटै॥
काम क्रोध माया मद मत्सर
इन पाँचहुँ मिल लूटे॥
हे सद्गुरुदेव ! अज्ञानता के कारण हमारे संशय की गाँठ नहीं खुलती। काम क्रोध, माया, अहंकार, ईर्ष्या यह पाँचों विकार मिलकर हमें लूट रहे हैं
पढ़ीऐ गुनीऐ नाम सब सुनीऐ,
अनुभव भाव न दरसै।
लोहा कञ्चन हिरन होए कैसे,
जउ पारसहि न परसै॥
पढ़ने, विचार करने और प्रभु के समस्त नामों को सुनकर भी ज्ञान व प्रेम स्वरूप परमात्मा का दर्शन नहीं होता। गुरु उपदेश के बिना प्रभु-प्राप्ति नहीं होती, जैसे पारस को सपर्श किए बिना लोहे से शुद्ध सोना नहीं बन सकता।
हम बड़ कबि कुलीन हम पंडित,
हम जोगी संन्यासी।
ज्ञानी गुनी सूर हम दाते,
इह बुधि कबहि न नासी॥
मैं बड़ा कवि हूँ, मैं कुलीन पंडित हूँ, मै योगी और संन्यासी भी हूँ । मैं गुणी हूँ, मैं शुरवीर हूँ और मैं दाता भी हूँ। इस प्रकार की मेरी अहंकार वाली बुद्धि कभी नष्ट नहीं होती।
कहे रविदास सबै नहीं समझै,
भूलि परे जैसे बोरे।
मोहि आधार नाम नारायण,
जीवन प्रान धन मोरे॥
गुरु रविदास जी कहते हैं कि अहंकार को सभी जीव नहीं समझते इसलिए वे पागलों जैसे भूले हुए हैं। मुझे तो नारायण के नाम का ही आधार है जो मेरे जीवन का प्राण और धन है अर्थात् प्रभु-नाम ही मेरा जीवन-प्राण और धन है।
🚩श्री निरंजनी अद्वैत आश्रम भाँवती🙏🏻
🎙️ हरजिंदर सिंह Harjinder Singh