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Darshan Do Ghanshyam Naath lyrics
नरसी मेहता भजन लिरिक्स Narsi Mehta
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे।
मन मन्दिर की जोत जगा दो, घट घट वासी रे॥
मन्दिर मन्दिर मूरत तेरी,
फिर भी न दिखे सूरत तेरी।
युग बीते ना आई मिलन की
पूरणमासी रे॥
द्वार दया का जब तू खोले,
पंचम सुर में गूंगा बोले।
अंधा देखे लंगड़ा चलकर,
पँहुचे काशी रे॥
पानी पीकर प्यास बुझाऊँ,
नैनन को कैसे समझाऊँ।
आँख मिचौनी छोड़ो,
अब तो मन के वासी रे॥
द्वार खड़ा कब से मतवाला,
मांगे तुमसे हार तुम्हारी।
नरसी की ये बिनती सुन लो,
भक्तविलासी रे॥
राग केदार तीनताल Kedaar Teental