🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
जाना मैंने जननी जनक बहिन भाई को,
आना जाना, जाना सब स्वाद रस जाना।
अकड़ झगड़ जाना, लड़ना बिगड़ना जाना,
राजा रंक जाना जो संपत्ति का खजाना हैं।
शत्रु जाना मित्र जाना अपना पराया जाना,
कुटुम्ब परिवार सब धीरे धीरे जाना है।
सब कुछ जाना पर कुछ भी न जाना हाय,
उसको न जाना जिसके पास हमें जाना है॥
Duniya Darshan Ka Hai Mela Kabeer
दुनिया दरसन का है मेला।
अपनी करनी पार उतरनी,
गुरु होये चाहे चेला॥
आया है तो जाएगा,
तू सोच अभिमानी मन,
चेतओ अब चेत दिवस तेरो नियराना है।
कर से करुँ दान माँग मुख से जपु रामराम,
वाहि दिन आवे काम, जाहि दिन जाना है।
नदिया है अगम तेरी, सूझत नहीं आर-पार,
बूड़त हो बीच धार, अब क्या पछताना है।
हे रे अभिमानी मन, झूठी माया संसारीगति,
मुठ्ठी बाँध आया है, खाली हाथ जाना है॥
कंकर चुन-चुन महल बनाया,
लोग कहे घर मेरा।
ना घर मेरा ना घर तेरा,
चिड़िया रैन सेरा॥
महल बनाया किला चुनाया,
खेलन को सब खेला।
चलने की जब बेला आई,
सब तज चला अकेला॥
न कुछ लेकर आया बंदे,
न कुछ है यहाँ तेरा।
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
संग न जाए धेला॥
जय श्री गुरु महाराज जी की🙏🏻
🎙️छन्नूलाल मिश्र Chhanulal Mishra