🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Tu Mero Meru Parbat Swami
कबीर गुरबानी Kabeer Gurbaani
ना तुम डोलो ना हम गिरते,
रख लीनी हरि मेरी॥
तू मेरो मेरु परबत स्वामी,
ओट गही मैं तेरी।
हे स्वामी! तू मेरा सुमेर पर्वत है, इसलिए मैंने तेरी ही ओट ली है। हे हरि! तूने मेरी लाज रख ली है, न तू कभी डगमगाता है और न ही हम गिरते हैं।
अब तब जब कब तू ही तू ही।
हम तव प्रसाद सुखी सद ही॥
अब भी और तब भी जब कब हमारे तो तू ही तू है। तेरी कृपा से हम सदा ही सुखी रहते हैं।
तोरे भरोसे मगहर बसिओ,
मेरे तन की तपत बुझाई।
पहले दरसन मगहर पायो,
पुनि कासी बसे आई॥
तेरे भरोसे पर मैं पहले मगहर की भूमि में आ बसा था और मेरे तन के विकारों की तपत तुमने ही बुझाई थी, इसके बाद काशी में आ बसा हूँ।
जैसा मगहर तैसी कासी,
हम एकै कर जानी।
हम निर्धन ज्यों एह धन पाया,
मरते फूटै गुमानी॥
मेरे लिए तो जैसा मगहर है, वैसे ही काशी है और मैंने दोनों को एक समान समझा है। जैसे निर्धन को धन मिल जाता है, वैसे ही मुझे नाम-धन प्राप्त हो गया है। अहंकारी जीव अहंकार में ही फूट-फूट कर मरते रहते हैं।
करै गुमान चुभै तिस सूला,
कोऊ काढ़न को नाही।
अजै सो चोभ कौ बिलबिलाते,
नर के घोर पचाही॥
जो व्यक्ति अहंकार करता है, उसे दुःखरूपी शूल चुभते रहते हैं, जिन्हें निकालने वाला कोई नहीं है। वह उम्रभर इन शूलों की चुभन से विलाप करता रहता है और आगे घोर नरक में भी दुःखी होता है।
कौन नरक क्या सुरग बिचारा,
सन्तन दोऊ रादे।
हम काहू की कांण न कढते,
अपने गुर परसादे॥
नरक अथवा स्वर्ग दोनों का विचार संतों ने रद्द कर दिया है। अब न स्वर्ग की लालसा न नर्क का डर। अब हम सद्गुरु का कृपारूपी प्रसाद पाकर किसी के मोहताज नहीं रहे।
अब तो जाइ चढे सिंहासन,
मिले है सारंगपानी।
राम 'कबीरा' एक भए है,
कोइ न सकै पछानी॥
अब हमें भगवान मिल गया है और स्वराज्य रूपी सिंहासन पर बैठ गए हैं। अब कबीर एवं राम दोनों एक रूप हो गए हैं और कोई भी पहचान नहीं सकता कि कबीर कौन है और राम कौन है अर्थात् अभेद स्वरूप हो गये है।
🚩 जय श्री गुरु महाराज जी की 🙏🏻🥀
🎙️सतविंदर सिंह Satwinder Singh
🎙️ मनिंदर अमृता Maninder & Amrita