🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Janm dhar Jo Na Kiyo Satsang Kabeer
जन्म धर जो न कियो सत्संग।
ताको केवल पशु करि मानो,
यदपि मानुष का अंग॥
करत अहार निद्रा भय मैथुन,
लाग्यो विषय सुरंग।
वामें अजहुँ न चेत्यौ मूरख,
काल करेगा भंग॥
काह भयो पीताम्बर पहिरे,
चढ़े कुँ हस्ति तुरंग।
वामें क्या बड़ाइ नर देखी,
फूल्यो हृदय उमंग॥
निर्मल चित्त कर कभी न न्हायो,
सन्त स्वरूपी गंग।
कहैं कबीर नर क्यों करि पावै,
पूरण रूप अभंग॥