जन्म तेरा बातों ही बीत गयो
रे तूने कबहुँ न कृष्ण कह्यो...
पाँच बरस का भोला रे भाला
अब तो बीस भयो.............
मकर पच्चीसी माया कारण
देश विदेश गयो................
तीस बरस की जब मति उपजी,
नित नित लोभ नयो...............
माया जोरी लाख करोरी,
अजहु न प्रीत भयो...............
वृद्ध भयो तब आलस उपजी,
कफ नित कण्ठ रह्यो............
संगति कबहुँ नाही कीन्ही,
बिरथा जन्म लियो.............
ये संसार मतलब का लोभी,
झूठो ठाठ रच्यो............
कहत कबीर समझ मन मूरख,
तू क्यों भूल गयो..............
🎙️अनूप जलोटा Anoop Jalota
🎙️हरिओम शरण Hariom Sharan