🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Jin Hari Se Jag Utpann Hove
Kamal Bhajan कमल लिरिक्स
जिन हरि से जग उत्पन्न होवे,
सो हरि इष्ट हमारे हैं।
सत-चित्त-आनन्द अद्वै रूपा,
एक अखण्डित सारे हैं।
पाँच तत्त्व अरु तीन गुणों में,
व्यापक रूप अपारे हैं।
जिनकी सत्ता सृष्टि में,
व्यापक जड़ चेतन इकसारे हैं॥
वै नहि मुझमे मैं नहिं इनमें,
अचरज खेल अपारे हैं।
सुख का मूल शान्ति का सागर,
ज्ञान रूप उजियारे हैं॥
पत्र पुष्प टहनी नहि शाखा,
बीज वृक्ष से न्यारे हैं।
रूप न रंग रेख नहि वामें,
फिर भी सरजन हारे हैं॥
देश काल द्रव्य नहीं वाणी,
बन्ध मोक्ष से न्यारे हैं।
भाव अभाव प्रकाशक हो हरि,
नाम निरंजन सारे हैं॥
उत्पति स्थिति प्रलय हो उनमें,
सर्व उपाधि धारे हैं।
नाम रूप के आश्रय दाता,
जग प्रपञ्च विस्तारे हैं॥
'कमलेश्वर' क्या महिमा गावे,
वेद नेति कह हारे हैं।
सब प्रपंच के ऊपर राजत,
सो हरि हृदय हमारे हैं॥
🚩अद्वैत सेवा आश्रम भाँवती🙏🏻