🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः 🌍🫂

Jagat me koi na paramanet lal Bhajan lyrics 

Jagat Me prabhu hi parmanent Bhajan lyrics 


जगत  में  कोय   न  परमानेंट।

तेल  चमेली  चन्दन  साबुन, चाहे  लगा  लो  सेंट॥


आवागमन  लगी  दुनियाँ  में, जगत  है  रेस्टोरेंट।

अन्त  समय  में   उखड़  जाएंगे,  तेरे  तम्बू  टेंट॥


हरिद्वार  चाहे, काशी  मथुरा, घूमो  दिल्ली  केंट।

मन में नाम गुरु का राखो, धोती  पहरो  या  पेंट॥


राष्ट्रपति  हो  कर्नल  जनरल  या  हो  लेफ्टिडेंट।

काल सभी को खा जाएगा, लेडीज हो या जेंट्स॥


साधू संत की संगत कर लो, ये है सच्ची गोरमेंट।

लाल सिंह कहे  इस दफ्तर से, मत होना एब्सेंट॥

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जगत  में  प्रभु  ही  परमानेंट

परब्रह्म   पूरण   पुरुषोत्तम, हैं   ऑल  टाइम  प्रेजेंट॥

 

सत्य   सनातन   अज   अविनाशी, सच्ची   गवर्नमेंट।

उसके  ऊपर   और   न  कोई, वो  सबको  प्रेसीडेंट॥


वही  क्रिएटर  वही  क्रिएशन, ऑलराउण्डर  ऐलीमेंट।

सबका  स्वामी  वहीं  नहीं  कोई  उसका पार्टीसिपेंट॥


उपादान  कारण  निमित्त  वह  कहे  शास्त्र श्रुति सेंट।

वैसे  कुछ   भी   कहे   किसी  का, भाव  कुसेंटीमेंट॥


प्रभु  से  बढ़ कर   जग  में  कोई  और  न  प्रोमिनेंट।

सर्व नियामक  सर्व  समर्थ  जो, जो  है ऑमनिपोटेंट॥


सब  है  उसके  शेष  अंश   उस  उसी  पर  डिपेंडेंट।

वह न किसी  का  अंश  नहीं कोई, उसका सप्लीमेंट॥


विधि हरि हर रवि शशि इंद्रादिक इन सबका फंडामेंट।

भिन्न अभिन्न  उभयविधि  ये  सब  प्रभु  के एडजेसेंट॥

 

उसे  प्रमाणित   करने   को   नहीं  सक्षम  डॉक्यूमेंट।

अपनी  सत्ता  सिद्ध  करन  हित  वही है सफीशिएंट॥


उसको आंक नहीं  सकते, कोई लॉयर अथवा क्लाइंट।

मन वाणी और बुद्धि आदि से, वह  अतिशय  डिस्टेंट॥


है   प्रभु   का   दरबार   मोस्ट, सुप्रीम   पार्लियामेंट।

इधर   उधर   होता  न  कभी, सर्वेश्वर  का  जजमेंट॥


रहे  बदलता   और   सभी  का, फ्यूचर  पास्ट  प्रेजेंट।

नित्य  एकरस   प्रभु   इंटर्नल, कभी  न  पड़ता  फेंट॥


जेनेरेटर    ऑपरेटर     और     डिस्ट्रॉयर    अटेंडेंट।

वही  है  ऑनर  वही  है  डॉनर, उसी  का  मेनेजमेंट॥


करना  पड़े  स्वीकार   सभी  को  उसका  अरेंजमेंट।

नजर बचा  सके  न  कोई उससे, वो हैं ऑमनिशिएंट॥


सभी  जीव  है  प्रभु  के  प्यारे, एण्ट  या  एलीफेण्ट।

सबका  परम   निवास   वही  है, सब  उसके  टेनेंट॥


कभी  न  मांगे  टैक्स  कमीशन  कभी  न  मांगे  रेंट।

ऐसे   प्रभु   की   सेवा   से  होना  कभी  न  एब्सेंट॥


अक्षय  है   भण्डार   प्रभु   का  ज्यों  जनरल  मर्चेंट।

लौटा  नहीं   निराश  कभी  कोई  हार्दिक  एप्लीकेंट॥


उसके  अनुशासन  को  जो  कोई  करेगा  इम्प्लीमेंट।

परमार्थ   व्यवहार    निपुण    हो   पार्षद   इम्पोर्टेंट॥


मानव  जीवन  मूल्यवान  अति, करो जो  व्यर्थ स्पेंड।

माथो   कूटत   छाती   पीटत, करनो   पड़े   रिपेमेंट॥


मानवता  सो  भिन्न   बिगाड़ा   यदि  अपना  ट्रीटमेंट।

लख  चौरासी   और   नरक   में   भोगो   पनिशमेंट॥


एक  पिता   के   कई   पुत्र  भये, नेचर  से  डिफरेंट।

भयो  विभीषण  सेंट  किन्तु  रावण कहलायो जॉएंट॥


प्रभु  भजन   सत्संगत   मांहि   तो  होवे  इम्प्रूवमेंट।

इधर उधर  भटके  तो  कभी  हो  सकता  एक्सीडेंट॥


राम  नाम   भव  रोग   मिटावन   हेतु  दवा  पेटेंट।

कभी  नहीं   डस   सके  उसे, संसार  रूप  सरर्पेंट॥


ऐसी रहनी रहो नहीं तो तुम्हारे  खिलाफ  कम्पलेंट।

सरल  सजग  शम  दम  एकांतिक सावधान टूलरेंट॥


जाने  का  परवाना   कभी  आ  सकता  है  अर्जेंट।

तजि  मिथ्या  अभिमान  भजो, प्रभु को एव्री मोमेंट॥


जो  चाहो  कल्याण  लहो  सन्तन  से  कृपा  करेंट।

जीवन  होवे   सरल   मधुर  ज्यों  इनोसेंट  इनफेंट॥


बेद  पुराण  देव  ऋषि  मुनिगण  सब उसके एजेंट।

शास्त्र स्मृति संहिता है  उसके आंशिक कॉरसपोडेंट॥


सुनो  गुनो   इनके  फिर  लो  निर्णय  सिग्नफिकेंट।

भक्ति मार्ग है प्रभु की प्राप्ति हित सबसे कन्वेनिएंट॥


भले  कर्म   और  योग  ज्ञान  में  हो  इनकम्पिटेंट।

भजन  के  सब  अधिकारी  है  नर  नारी इम्पोर्टेंट॥


भोले  भाले  जन  हो   या   इंटेलीजेंट   ब्रिलिएंट।

हनुमत   सरिस   समर्पित  हो, ऑविडिएंट  सर्वेंट॥


भक्ति भाव  में  ध्रुव  प्रह्लाद, सरिस  हो  कम्पिटेंट।

पाओगे   करुणा   सागर   का, प्यार  सेंट  पर्सेंट॥


कहो नारायण दास नेहनिधि, कहो मेचलेस डिसेंट।

रूप स्वभाव शील गुन में, मेरो  पहुना  एक्सीलेंट॥