🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Jag Me Guru Bin Bharm Andheri
कबीर भजन Kabeer Bhajan lyrics
जग में गुरु बिन भर्म अंधेरी।
गुरु को छोड़ पत्थर को ध्यावे,
याही भूल नर तेरी।
याही भूल में भर्मत। डोले,
लख चौरासी फेरी॥
भव सागर में नदी बहत है,
धार परत है गहरी।
याही धार में नैया अटकी,
भँवर वासना घेरी॥
गीता भागवत वेद शास्तर,
पुराण अठारह में हेरी।
जहाँ देखूँ तहाँ गुरु गुरु है,
और न दूजी सेरी॥
गुरु पद शरण गहो मन मेरा,
अब मत करना देरी।
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
मान कहा सत मेरी॥