🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
दीनदयाल सुनी जब ते तब ते
मन में कुछ ऐसी बसी है।
टेरूँ कहाँ और जाऊँ कहाँ बस
तेरे ही नाम की फेंट कसी है।
तेरो ही आसरो बस एक मलूक
नहीं प्रभु सो कोई और जसी है।
ऐहौं मुरारी पुकारी कहौं अब
मेरी हँसी में तेरी हँसी है॥
Jayegi Laj Tumhari Soordas
जाएगी लाज तुम्हारी!
नाथ! मेरो क्या बिगड़ेगो॥
भूमि विहीन पाण्डव सुत बैठे,
जब ते धर्मसुत हारी।
कहिए ना पैज प्रबल पार्थ की,
भीम गदा मही डारी॥
सूर समूह भूप सब बैठे,
बड़े बड़े व्रतधारी।
भीष्म द्रोेण कर्ण दुःशासन,
जिन्होंने आपद डारी॥
तुम तो दीनानाथ कहावत,
मैं अति दीन दुःखारी।
जैसे जल बिना मीन ज्यों तड़पे,
सोई गति भई हमारी॥
हम पति पाँच पाँचन के तुम पति,
मो पति काहे बिसारी।
सूर स्याम पाछे पछितहिए,
जब मुझे देखो मोहे उघारी॥