🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Jaun kahan taji charan tumhare
तुलसीदास Vinay Patrika Tulsidas
जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे।
काको नाम पतितपावन जग,
केहि अति दीन पियारे॥
हे नाथ! आपके चरणों को छोड़कर और कहाँ जाऊँ? संसार में 'पतित-पावन' नाम और किसका है ? (आपकी भाँति) दीन-दुःखियारे किसे बहुत प्यारे हैं ?
कौनहुँ देव बड़ाइ विरद हित,
हठि हठि अधम उधारे।
खग मृग व्याध पषान विटप जड़,
यवन कवन सुर तारे॥
आज तक किस देवता ने अपने बाने को रखने के लिये हठपूर्वक चुन-चुनकर नीचों का उद्धार किया है? किस देवता ने पक्षी (जटायु), पशु (ऋक्ष-वानर आदि), व्याध (वाल्मीकि), पत्थर (अहल्या), जड वृक्ष (यमलार्जुन) और यवनों का उद्धार किया है ?
देव, दनुज, मुनि, नाग, मनुज,
सब माया-विवश बिचारे॥
तिनके हाथ दास ‘तुलसी’
प्रभु कहा अपुनपौ हारे॥
देवता, दैत्य, मुनि, नाग, मनुष्य आदि सभी बेचारे माया के वश हैं। (स्वयं बँधा हुआ दूसरों के बन्धन को कैसे खोल सकता है इसलिए) हे प्रभो ! यह तुलसीदास अपने को उन लोगों के हाथों में सौंपकर क्या करे ?