🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Jo sumiru to pooran ram Dariya Saheb
जो सुमिरूँ तो पूरण राम।
अगस अपार पार नहिं जाको, है सब संतन का बिसराम॥
कोट बिस्नु जाके अगवानी, संख चक्र सत सारंग पानी॥
कोट कारकुन बिध कर्मधार। प्रजापति मुनि बहु बिस्तार॥
कोट काल संकर कोतवाल। भैरव दुर्गा धर्म बिचार॥
अनंत सन्त ठाढ़े दरबार। आठ सिधि नौ निधि द्वारपाल॥
कोट बेद जाको जस गावै बिद्या कोट जाको पार न पावै॥
कोट अकास जाके भवनद्वारे पवन कोट जाके चँवर ढुरावै।
कोट तेज जाके तपै रसोई। बरुन कोट जाके नीर समोय॥
पृथ्वी कोटि फुलवारी गन्ध। सुरत कोटि जाके लाया बन्ध॥
चंद सूर जाके कोट चिराग। लछमी कोट जाके रांधैं पाग॥
अनंत संत और खिलवतखाना। लखचौरासी पलै दिवाना॥
कोटि पाप काँपै बलछीन। कोटि धरम आगे आधीन॥
सागर कोटि जाके कलसधार। छपन कोट जाके पनिहार॥
कोट संतोष जाके भराभंडार कोट कुबेर जाके मायाधार॥
कोटि स्वर्ग जाके सुखरूप। कोटि नर्क जाके अन्ध कूप॥
कोटि कर्म जाके उत्पतिकार। किला कोटि बरतावनहार॥
आदि अन्त मध्य नहीं जाको। कोई पार न पावै ताको॥
जन दरिया के साहब सोई। ता पर और न दूजा कोई॥