🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः 🌍🫂
भक्ति भक्ति सब कहे, भक्ति न चीन्हि कोय।
भक्ति चीन्ही सो जना, शब्द विवेकी होय॥
कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति न होय।
भक्ति करे कोई सूरमा जाति वर्ण कुल खोय॥
Ishwar Ko Sacche Bhakt Piyaare Hai
ईश्वर को सच्चे भक्त पियारे है!
भक्तिहीन ब्रह्मा भी क्यों न हो,
श्रेष्ठगति को पावे ना।
नीच करे भक्ति मन लाकर,
इत उत चित्त डिगावे ना।
वेद पढ़े छह शास्त्र पढ़े,
षट्कर्म करे शरमावे ना।
काम क्रोध मद लोभ तजे,
विषयों में चित्त लगावे ना।
उसे महापुरुषों में पदवी मिले
किस विध भी कोई हटावे ना।
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा,
कर्म विफल कभी जावे ना।
निरभिमानी सदा जो पावे, अभिमानी हारे हैं॥
कपिल मुनि थे कौमधुनि जिने
सांख्यशास्त्र को गाया कि ना
वाल्मीकिजी की जाति बताओ
शुद्ध रामायण बनाया कि ना
भरद्वाज कौशिक मुनि नारद
ब्राह्मणों की पदवी पाये कि ना
गौतम ऋषि ऋषि विश्वामित्र के
विप्रों की छवि छाये कि ना
गुरु वसिष्ठ जी की मात कौन,
राम से सेवा करायी कि ना
विद्यावती राजाभोज की कन्या
कालिदास को ब्याही कि ना
वेदव्यास जी के जन्म के पीछे,
सत्यवती परणाई कि ना।
जिन जिन कर्म किये उभरन के सोई उभारे है॥
नारी को शुद्र कहते बराबर,
जन्मजात के अभिमानी।
भक्तमाल में क्यों लिख दीनी,
करके ऐसी नादानी।
कुन्ती द्रौपदी अहिल्या मन्दोदरी
चित्तौड़ की मीरा रानी।
कर्मा कुबरी वैश्या भाण्डनी,
शिवरी कहाँ की ब्राह्मणी।
सैन सजन और अजामिल
नामदेव कबीर नरसी जानी।
कहते कुण्ड में लेत झकोरे,
रैदास घर गंगा रानी।
कर्मप्रधान विश्व कर राखा,
फिर क्यों जाति बड़ी मानी।
जन्म जाति का जोर चले ना, कर्म करारे है॥
मदमाता हेली कृत मंगल गाकर
कर्म चलाते हैं।
खरसाई और हनुसाई ये
बारहों मास चिल्लाते हैं।
घीसा जाट के चेले सैकड़ों
छन्द रसीले गाते हैं।
धन्ना कौन है जिनका खेत
हरि आय आप निपजाते है।
विदुर कौन पटरानी का लड़का
जिनके कृष्ण जीमते है।
कर्मप्रधान विश्व कर राखा
फिर भी क्यों इतराते हैं।
'हरिसिंह' हरिभक्ति भवन के खुल्ले द्वारे है॥
🚩निरंजनी अद्वैत सेवा संस्थान, भाँवती🥀