🕉️श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Is tan dhan ki Kaun badhai kabeer
धन यौवन उड़ जाइगो, जैसे उड़त कपूर।
मन मूरख गोविंद भज, क्यों चाटत जगधूल॥
इस तन धन की कौन बढाई।
देखत नैनों में मिट्टी मिलाई॥
अपने खातिर महल बनाया।
आपहि जाकर जंगल सोया॥
हाड जले जैसे लकरी की मोली।
बाल जले जैसी घास की पोली॥
कहत कबीर सुन मेरे गुनिया।
आप मुए पीछे डुब गई दुनिया॥