🕉️👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂 

Aa to gaya hu magar janta hu

आ  तो  गया  हूँ  मगर  जानता हूँ।

तेरे दर पर आने के काबिल नहीं हूँ॥

तेरी मेहरबानी का  बोझ है इतना, 

जिसे मैं उठाने के काबिल नहीं हूँ।


जमाने की चाहत ने मुझको भुलाया, 

तेरा नाम  मेरी  जुबां  पे  न  आया।

खतावार  हूँ  मैं, गुनहगार   हूँ   मैं, 

तुझे मुँह दिखाने के काबिल नहीं हूँ।


माना की दाता हो तुम कुल जहाँ के, 

मगर कैसे दामन मैं फैलाऊं आके।

जो अबतक दिया है वही कम नहीं है, 

कर्जा चुकाने के काबिल नहीं हूँ॥


तमन्ना यही है कि सिर को झुका दूँ,

तेरा दीद एक बार जीभर के पा लूँ।

सिवा दिल के टुकड़े के ऐ मेरे दाता,

कुछ भी चढ़ाने के काबिल नहीं हूँ॥