🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Ab ki madhav mohi udhari Soordas
अब की माधव मोहि उधारि।
मगन हौं भव अम्बुनिधि में, कृपासिंधु मुरारि॥
नीर अति गम्भीर माया, लोभ लहर तरंग।
लिये जात अगाध जल में, गहे ग्राह अनंग॥
मीन इन्द्रियअतिहि काटत, मोट अघ सिरभार।
पग न इतउत धरन पावत, उरझि मोह सिवार॥
काम क्रोध समेत तृष्ना, पवनअति झकझोर।
नाहिं चितवत देत तिय, सुत नामनौका ओर॥
परयो बीच बेहाल बिह्वल, सुनहु करुना मूल।
स्यामभुज गहि काढ़ि डारो, सूर ब्रज के कूल॥