🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂 

Angadhiya deva kaun kare Teri seva Kabeer 


अनगाढ़िया   देवा   कौन   करे   तेरी   सेवा॥


गढ़े देव को सब कोई पूजे, नित ही लावे सेवा।

पूरन ब्रह्म अखंडित स्वामी ताको न जाने भेवा॥


दसअवतार निरंजन कहिये सो अपना ना होई।

ये तो अपनी करनी भोगे, कर्ता  औरहि  कोई॥


जोग जती तपी सन्न्यासी आप आपमें लड़ियाँ।

कहैं कबीर सुनो भाई साधो राग लखै सो तरियाँ॥


अनगढ़ देवता, तुझे मूर्ती का रूप नहीं दिया जा सकता, तेरी सेवा कौन करेगा, हर एक अपने हाथों से बनाए हुए देवता को पूजता है और उसकी सेवा करता है, लेकिन वह जो पूर्ण है, जो ब्रह्म है, जो अख़ंडित है उसका नाम कोई नहीं लेता, ये लोग दस अवतारों को मानते हैं जो मन से गढ़े गए हैं, लेकिन कोई अवतार निरंजन (ईश्वर) नहीं है, ये तो अपनी-अपनी करनी भोग रहे हैं करने वाला तो और ही कोई है. जोगी, तपस्वी और सन्यासी सब आपस में लड़ रहे हैं ‘कबीर’ कहते हैं, सुनो भाई, जिसने प्रेम (राम) को देखा है वह तर गया है।