🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Achraj dekha bhari sadho Brahmanand
अचरज देखा भारी साधो, अचरज देखा भारी रे॥
गगन बीच अमृत का कुआं, झरे सदा सुखकारी रे।
पंगु पुरुष चढे बिन सीढ़ी, पीवे भरभर झारी रे॥
बिना बजाये निशदिन बाजे, घंटा शंख नगारी रे।
बहरा सुन सुन मस्त होत है तन की खबर बिसारी रे॥
बिन भूमि के महल बना है, तामें ज्योत उजारी रे।
अन्धा देख देख सुख पावे, बात बतावे सारी रे॥
जीता मरकरके फिर जीवे बिन भोजन बलधारी रे।
ब्रह्मानन्द सन्तजन बिरला, समझे बात हमारी रे॥