🕉️🎯🚩श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
भँवर विलम्ब्यो बाग में, बहु फूलन की वास।
जीव विलम्ब्यो विषय में, अन्तहुँ चले निरास॥
मैं भौंरा तोहि बरजिया, बन बन बास न लेय।
अटकेगा कहुँ बेल में, तड़फ तड़फ जिय देय॥
Taj Taj Re Bhanwra Kamalvas
तज तज रे! भँवरा कमलवास।
तेरी भँवरी रोवे अत उदास॥
तेने बहु पुष्पन को लियो भोग,
तेने सुख न भयो तन बढ्यो रोग।
हौं जो कहूँ तोहि बार बार,
मैं सब बन ढूँढ्या हर डार॥
दिवस चार को सुरंग फूल,
तिन देखि कहाँ तू रह्यो भूल।
या बनस्पति में लगेगी आग,
तब तू भँवरा कहाँ जावे भाग॥
पुष्प पुरानो गयो सूख,
तब भँवरे को अति भूख।
वो उड़ न सके बल गयो छूट,
तब भँवरी रोई सीस कूट॥
दस दिसि जोवे मधु पुराय,
तब भँवरी ले चली सीस चढ़ाय।
कहे 'कबीर' मन को स्वभाव,
एक रामभजे बिन जम को डाव॥
कबीर भजन Kabeer Bhajan
🚩जय श्री गुरु महाराज जी की🙏🏻