🕉️👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍
सद्गुरु कह समझाइया, निजमत बारम्बार।
सुन्दर कष्ट कहाँ करे, पाया सहज विचार॥
🎼Santo Sahaj Samaadhi Bhali
सन्तो! सहज समाधि भली॥
गुरु प्रताप भयो जा दिन ते,
सुरति न अनत चली॥
आँख न मूँदूँ कान न रूँधूँ,
काया कष्ट न धारूँ।
खुले नैन हँस हँस पहिचानूँ,
सुन्दर रूप निहारूँ॥
कहूँ सो नाम, सुनूँ सो सुमिरन,
जो कछु करूँ सो पूजा।
गिरह उजाड़ एक सम देखूँ,
भाव मिटाऊँ दूजा॥
जहँ-जहँ जाऊँ सोई परिक्रमा,
जो कछु करूँ सो सेवा।
जब सोऊँ तब करूँ दण्दवत,
पूजूँ और न देवा॥
शब्द निरन्तर मनुआ राता,
मलिन बचन का त्यागी।
उठत। बैठत कबहुँ न बिसरै,
ऐसी तारन लागी॥
कहै 'कबीर' यह उन्मनी रहनी,
सो प्रगट कर गाई।
सुख-दुख ते इक परे परमसुख,
तेहि में रहा समाई॥
🚩 श्री निरंजनी अद्वैत आश्रम भाँवती🙏🏻