🕉️💥श्री हरिपुरुषाय नमः🌻
Paati Tore Malni Sadguru Jaagta Hai Dev
पाती तोरे मालिनी, पाती पाती जीव।
जिस पाहन को पाती तोरे सो पाहन निर्जीव।
भूली मालिनी एव सद्गुरु जागता है देव॥
मालिनी पत्थर की मूर्ति पर फूल-पत्तियाँ चढ़ाकर पूजा करती है। उसे इस बात का जरा भी एहसास नहीं है कि फूल की हर एक पंखुड़ी में जीवन है, लेकिन जिस मूर्ति को वह उन पंखुड़ियों को चढ़ाकर खुश करने की कोशिश करती है वह निर्जीव है। निर्जीव पत्थर की मूर्ति की सेवा करके, मालिनी भूल जाती है कि सच्चा जीवित भगवान् सद्गुरुदेव है।
ब्रह्म पाती, बिसनु डारी, फूल संकर देव।
तीन देव प्रत्यक्ष तोरे, करे किसकी सेव॥
हे मालिनी! पत्तों में ब्रह्मा, शाखाओं में विष्णु और फूलों में शिव हैं। यह पौधा सनातन त्रिमूर्ति विश्वास की सबसे अद्भुत मूर्ति है। जब आप इन तीनों देवताओं को तोड़ देते हैं, तो आप किसकी सेवा कर रहे हैं?
पाखान गढ़के मूरत कीनी देके छाती पाऊँ।
जे एह मूरत सच्ची है तो गढ़णहारे खाऊँ॥
मूर्तिकार पत्थर पर पैर रखकर मूर्ति बनाने के लिए पत्थर को तराशता है। यदि यह मूर्ति वास्तव में भगवान् होती, तो वह मूर्तिकार को इस तरह के अपमान के लिए नहीं खा जाती?
भात पात अरु लापसी, करकरा कासार।
भोगनहारे भोगिआ इस मूरत के मुखछार॥
इन मूर्तियों को चावल, दाल, मीठे व्यंजन और अन्य गरिष्ठ भोजन चढ़ाया जाता है। प्रसाद का आनंद लेने वाला वह पुजारी है जो उन सभी को खाता है। मूर्ति कुछ भी नहीं खाती है क्योंकि उसमें जान नहीं है इसलिए वह अपने मुँह में रखी किसी भी चीज को खाने में असमर्थ है।
मालिनभूली जगभुलाना हमभुलाने नाहिं।
कहे कबीर हम रामराखे कृपाकर हरराई॥
मूर्तिपूजा करने वाली मालिनी भ्रम में भूल गयी है और यह संसार भी भूल गया है, लेकिन मैं गुरु कृपा से भूला नहीं हूँ। कबीर कहो, प्रभु ने मुझे बुद्धि दी है इसलिए मैं भी माया के जाल में नहीं पड़ता।
गुरबानी कबीर सबद Gurbaani Kabeer Shabad